Premanand Ji Maharaj Biography : हेलो दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बताने वाले जिनके बारे में कौन नहीं जनता होगा मेरा मतलब है की इनके बारे में सभी जानते ही होंगे आज मैं आपको प्रेमानंद महाराज के बारे में बताने वाला हूँ और मुझे यह भी पता है की Sri Premanand Ji Maharaj के बारे मे जानकर आप सभी लोग बहुत ही ज्यादा खुश होंगे दोस्तों Premanand Ji Maharaj को भला कौन नहीं जानता होगा वे आज के जमाने के सबसे प्रसिद्द संत है और इसीलिए इनके भजन और सत्संग में दूर दूर से लोग आते है दोस्तों Premanand Ji Maharaj की प्रसिद्धि दूर दूर तक फैली हुयी है |
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![Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi प्रेमानंद महाराज की जीवनी 2 Premanand Ji Maharaj Biography](https://indiaatoday.com/wp-content/uploads/2024/01/pjm3.png)
यह भी कहा जाता है की Premanand Ji Maharaj को देवो के देव् महादेव से स्वंय साक्षात् दर्शन दिए तभी से Premanand Ji Maharaj ने घर छोड़ दिया और संत का जीवन जीने लगे और तो और यह भी महाराज जी ये भी बताते है की आज से 20 साल पहले ही उनकी दोनों किडनी खराब ही गयी थी उन्हें बहुत से लोगो ने अपनी किडनी देने को कहा लेकिन Premanand Ji Maharaj जी किसी की किडनी लेने से अस्वीकार कर दिया और अपनी एक किडनी का नाम राधा और दूसरी किडनी का नाम कृष्ण रखा दोस्तों चमत्कार की बात तो ये है की वे अज्ज भी बिना किडनी के ही एकदम स्वस्थ और जीवित है दोस्तों प्रेमानंद जी महाराज को लोग Paramanand Swami के नाम से भी जानते है लेकिन दोस्तों क्या आप ये जानते है की Premanand Ji Maharaj ने क्यों साधारण जीवन जीना शुरू किया और क्यों वे घर द्वार सब छोड़छाड़ कर भक्ति के मार्ग पे आ गए और सन्यासी बन गए दोस्तों आईये जानते है Premanand Ji Maharaj के जीवन के बारे में |
![Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi प्रेमानंद महाराज की जीवनी 3 Premanand Ji Maharaj Biography](https://indiaatoday.com/wp-content/uploads/2024/01/pjm2.png)
Premanand Ji Maharaj Biography
दोस्तों Premanand Ji Maharaj का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपूर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था Premanand Ji Maharaj का बचपन का नाम अनिरुद्ध पांडेय है और इनके पिता का नाम श्री शम्भू पांडेय व माता का नाम श्रीमती रमा देवी दोस्तों सबसे पहले इनके घर में प्रेमानंद जी के दादा जी ने सन्यास ग्रहण किया और साथ ही में इनके पिता जी भी भगवान् की भक्ति करते थे और इनके भाई भी प्रतिदिन भगवत गीता का पाठ करते थे दोस्तों inhi सब का प्रभाव प्रेमानंद जी के भी जीवन पर पड़ा |
Premanand Ji Maharaj बताते है की जब वे पांचवी कक्षा में थे तभी से उन्होंने भगवत गीता का पाठ करना शुरू कर दिया था और धीरे धीरे उनकी रूचि आध्यात्म की ओर बढ़ने लगी और साथ ही में उन्हें आध्यत्मिक ज्ञान की जानकारी भी होने लगी जब वे 13 वर्ष के हुए तभी उन्होंने ब्रह्मचारी बनने का फैसला लिया और उसके बाद वे घर का त्याग करके सन्यासी बन गए |
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Premanand Ji Maharaj Biography : सन्यासी जीवन के शुरुआत में ही प्रेमानंद महाराज का नाम आर्यन ब्रह्मचारी रखा गया प्रेमानंद महाराज ने सन्यासी जीवन के लिए घर का त्याग कर वाराणसी आ गए और यही आकर रहने लगे सन्यासी जीवन के दिनचर्या में वे एक दिन में 3 बार गंगा स्नान करते थे और तुलसी तट पर वे भगवान् शिव और माता गंगा का ध्यान व पूजन करते थे वे दिन में केवल एक ही बार भोजन किया करते थे Premanand Ji Maharaj भिक्षा मांगने के जगह भोजन प्राप्ति की इच्छा से 10-15 मिनट बैठा करते थे यदि उन्हें भोजन मिला तो वो ग्रहण करते थे नहीं तो फिर वे सिर्फ गंगा जल ही पी कर रह जाते थे सन्यासी जीवन की दिनचर्या में कई कई दिन Premanand Ji Maharaj ने भूखे ही बिताये है |
Premanand Ji Maharaj के सन्यासी जीवन के बाद वृन्दावन आने की जो कहानी है न वो बेहद ही चमत्कारी है एक दिन Premanand Ji Maharaj से मिलने एक अपरिचित संत आये और उन्होंने कहा श्री हनुमत धाम विश्वविद्यालय में श्री राम शर्मा के द्वारा दिन में श्री चैतन्य लीला और रात में रासलीला मंच का आयोजन किया गया है जिसमे आप आमंत्रित है पहले तो Premanand Ji Maharaj ने अपरिचित साधु को आने के लिए मना कर दिया फिर साधु ने उनसे आयोजन में आने के लिए बहुत ही प्रार्थना की जिसके बाद Premanand Ji Maharaj ने आयोजन में आने के लिए हां कर दिया | दोस्तों जब प्रेमानंद जी महाराज चैतन्य लीला और रासलीला आयोजन में शामिल हुए तब उन्हें ये आयोजन बेहद ही पसंद आया ये आयोजन लगभग 1 महीने तक चला और फिर जाके समाप्त हुआ जब आयोजन समाप्त हो गया तो प्रेमानंद जी महाराज को रासलीला और चैतन्यलीला देखने की व्याकुलता होने लगी |
इसके बाद महाराज जी उसी संत के पास गए जो उन्हें इस रासलीला के लिए आमंत्रित करने आये थे उनसे मिल के महाराज जी बोले की मुझे भी अपने साथ ले चले ताकि मैं भी वो चैतन्यलीला देख सके उसके बदले मैं आपकी सेवा कर दूंगा तभी संत ने कहा की आप विण्डवन आ जाये वहां पर आपको प्रतिदिन रासलीला देखने को मिलेगी | संत की ये बात सुनते ही प्रेमानंद जी महाराज को वृन्दावन जाने की व्याकुलता उत्पन्न हुयी और इसी के बाद से ही प्रेमानंद जी महाराज वृन्दावन में आके राधा रानी और श्री कृष्ण के चरणों में आ गए और भगवत प्राप्ति में लग गए |
![Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi प्रेमानंद महाराज की जीवनी 5 Premanand Ji Maharaj Biography](https://indiaatoday.com/wp-content/uploads/2024/01/pjm1.png)
दोस्तों कैसा लगा आपको Premanand Ji Maharaj के बारे में जानकर मुझे उम्मीद है की आपको बेहद ही पसंद आया होगा आज का ये आर्टिकल दोस्तों अगर आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा तो प्लीज मुझे कमेंट करके जरूर बताईयेगा |
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