पर शिरोमणि अकाली दल ने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी पहली सूची जारी करते हुए 7 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया। गुरदासपुर से डॉ. दलजीत सिंह चीमा, आनंदपुर साहिब से प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा, पटियाला से एनके शर्मा, अमृतसर से अनिल जोशी, फतेहगढ़ साहिब से एस बिक्रमजीत सिंह खालसा, फरीदकोट से एस राजविंदर सिंह, संगरूर से एस इकबाल सिंह झुंदा को उतारा है। पहली सूची में शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर का नाम नहीं है। कई साल बाद भाजपा से अलग होकर
अकेले लोकसभा चुनाव लड़ रहे
अकाली दल ने दो हिंदू चेहरों को भी
टिकट दिया है। टकसाली नेता के तौर पर जाने जाते सीनियर अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा के बेटे परमिंदर सिंह डीडसा इस सूची में दरकिनार कर दिया गया है। उनकी जगह संगरूर से टकसाली नेता इकबाल सिंह झुंदा को टिकट देकर शिअद ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। सुखदेव सिंह चींडसा ने पिछले महीने ही अपनी पार्टी अकाली दल संयुक्त का विलय
* गुरदासपुर से डॉ. चीमा, आनंदपुर साहिब से प्रो. चंदूमाजरा, पटियाला से एनके शर्मा, जोशी, फतेहगढ़ साहिब से बिक्रमजीत सिंह खालसा, फरीदकोट से राजविंदर सिंह, संगरूर से झूदा
गुरदासपुरः बादल परिवार के करीबी हैं दलजीत चीमा शिअद प्रवक्ता डॉ. दलजीत
सिंह चीमा (62) मूलरूप से गुरदासपुर के रहने वाले हैं। पूर्व सीएम परकाश सिंह बादल के 2007 से 2012 तक सलाहकार रहे। रूपनगर से विधायक बनें, शिक्षा रहे। सुखबीर सिंह बादल से अच्छी
कोऑर्डिनेशन है।
आनंदपुर साहिबः तीन बार
सांसद रहे चंदूमाजरा पर दांव पूर्व सांसद प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा (74) पर भरोसा
जताया। वे दो बार पटियाला से और एक बार आनंदपुर साहिब से सांसद रह चुके हैं। 2014 में उन्होंने यहां से कांग्रेस की अंबिका सोनी को हराया था। इसलिए पार्टी ने फिर
उन्हें मौका दिया।
फतेहगढ़ साहिबः खालसा सीट पर लंबे समय से थे सक्रिय, पिता भी सांसद रहे
चेहरे बिक्रमजीत सिंह खालसा (54) 4 बार चुनाव लड़ चुके है। दो बार जीते। 1997 में दाखा से व 2007 में खत्रा से जीते। यह सिख पंचक सीट है इसलिए अकाली दल का अपना बोट कैडर है। इस सीट पर काफी समय से सक्रिय। पिता बसंत सिंह 2 बार रोपड़ से सांसद रहे हैं।
लिए सभी
घर शहरों में
किया था।
डेराबस्सी से दो बार विधायक रहे हिंदू नेता एनके शर्मा (54) पटियालाः यहां 45% हिंदू आबादी, शर्मा को तरजीह दी
साथ गठबंधन में भाजपा अपना प्रत्याशी उतारती रही है। शहरी क्षेत्रों में भाजपा का जनसमर्थन अधिक है। इसलिए शिअद ने भाजपा से ही शिअद में शामिल हुए हिंदू चेहरे अनिल जोशी (60) को टिकट दिया है।
चंडीगढ़ को
उम्मीदवारों
ने चुनावी
को अंतिम
उसके बा
उम्मीदव
बैठक
दोपहर
जारी
अमृतसरः भाजपा का वोट काट सकते हैं अनिल जोशी यहां से अब तक अकाली दल के
उतार
उनमें
मैदा
से
को उम्मीदवार बनाया। शिअद के खजांची रह चुके हैं। इस सीट पर शहरी प्रभाव है, क्योंकि पटियाला सीट में 6 विधानसभा क्षेत्र शहरी क्षेत्र में
पड़ते हैं। पटियाला में 45 फीसदी
आबादी हिंदुओं की है।
संगरूर झुंदा शिअद के अच्छे-बुरे
समय साथ खड़े रहे, वफादार रहे यहां से इकबाल सिंह झुंदा (62) को प्रत्याशी बनाने का बड़ा कारण उनकी वफादारी है। इस सीट के विधानसभा क्षेत्रों के हल्का इंचार्ज का समर्थन मिला। वे बुरे और अच्छे समय में हमेशा पार्टी के साथ खड़े रहे। चार बार विधानसभा चुनाव लड़ा है। इनमें से दो बार जीते हैं।
फरीदकोटः राजविंदर के परिवार की बादलों से करीबी, साफ छवि
पूर्व मंत्री व बादल परिवार के करीबी रहे गुरदेव सिंह बादल के दोहते राजविंदर सिंह (50) को टकसाली नेता होने के कारण टिकट दिया
पर शिरोमणि अकाली दल ने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी पहली सूची जारी करते हुए 7 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया। गुरदासपुर से डॉ. दलजीत सिंह चीमा, आनंदपुर साहिब से प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा, पटियाला से एनके शर्मा, अमृतसर से अनिल जोशी, फतेहगढ़ साहिब से एस बिक्रमजीत सिंह खालसा, फरीदकोट से एस राजविंदर सिंह, संगरूर से एस इकबाल सिंह झुंदा को उतारा है। पहली सूची में शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर का नाम नहीं है। कई साल बाद भाजपा से अलग होकर
अकेले लोकसभा चुनाव लड़ रहे
अकाली दल ने दो हिंदू चेहरों को भी
टिकट दिया है। टकसाली नेता के तौर पर जाने जाते सीनियर अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा के बेटे परमिंदर सिंह डीडसा इस सूची में दरकिनार कर दिया गया है। उनकी जगह संगरूर से टकसाली नेता इकबाल सिंह झुंदा को टिकट देकर शिअद ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। सुखदेव सिंह चींडसा ने पिछले महीने ही अपनी पार्टी अकाली दल संयुक्त का विलय
* गुरदासपुर से डॉ. चीमा, आनंदपुर साहिब से प्रो. चंदूमाजरा, पटियाला से एनके शर्मा, जोशी, फतेहगढ़ साहिब से बिक्रमजीत सिंह खालसा, फरीदकोट से राजविंदर सिंह, संगरूर से झूदा
गुरदासपुरः बादल परिवार के करीबी हैं दलजीत चीमा शिअद प्रवक्ता डॉ. दलजीत
सिंह चीमा (62) मूलरूप से गुरदासपुर के रहने वाले हैं। पूर्व सीएम परकाश सिंह बादल के 2007 से 2012 तक सलाहकार रहे। रूपनगर से विधायक बनें, शिक्षा रहे। सुखबीर सिंह बादल से अच्छी
कोऑर्डिनेशन है।
आनंदपुर साहिबः तीन बार
सांसद रहे चंदूमाजरा पर दांव पूर्व सांसद प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा (74) पर भरोसा
जताया। वे दो बार पटियाला से और एक बार आनंदपुर साहिब से सांसद रह चुके हैं। 2014 में उन्होंने यहां से कांग्रेस की अंबिका सोनी को हराया था। इसलिए पार्टी ने फिर
उन्हें मौका दिया।
फतेहगढ़ साहिबः खालसा सीट पर लंबे समय से थे सक्रिय, पिता भी सांसद रहे
चेहरे बिक्रमजीत सिंह खालसा (54) 4 बार चुनाव लड़ चुके है। दो बार जीते। 1997 में दाखा से व 2007 में खत्रा से जीते। यह सिख पंचक सीट है इसलिए अकाली दल का अपना बोट कैडर है। इस सीट पर काफी समय से सक्रिय। पिता बसंत सिंह 2 बार रोपड़ से सांसद रहे हैं।
लिए सभी
घर शहरों में
किया था।
डेराबस्सी से दो बार विधायक रहे हिंदू नेता एनके शर्मा (54) पटियालाः यहां 45% हिंदू आबादी, शर्मा को तरजीह दी
साथ गठबंधन में भाजपा अपना प्रत्याशी उतारती रही है। शहरी क्षेत्रों में भाजपा का जनसमर्थन अधिक है। इसलिए शिअद ने भाजपा से ही शिअद में शामिल हुए हिंदू चेहरे अनिल जोशी (60) को टिकट दिया है।
चंडीगढ़ को
उम्मीदवारों
ने चुनावी
को अंतिम
उसके बा
उम्मीदव
बैठक
दोपहर
जारी
केजरीवाल के इस्तीफे की मांग || भाजपा का प्रदर्शन
अमृतसरः भाजपा का वोट काट सकते हैं अनिल जोशी यहां से अब तक अकाली दल के
उतार
उनमें
मैदा
से
को उम्मीदवार बनाया। शिअद के खजांची रह चुके हैं। इस सीट पर शहरी प्रभाव है, क्योंकि पटियाला सीट में 6 विधानसभा क्षेत्र शहरी क्षेत्र में
पड़ते हैं। पटियाला में 45 फीसदी
आबादी हिंदुओं की है।
संगरूर झुंदा शिअद के अच्छे-बुरे
समय साथ खड़े रहे, वफादार रहे यहां से इकबाल सिंह झुंदा (62) को प्रत्याशी बनाने का बड़ा कारण उनकी वफादारी है। इस सीट के विधानसभा क्षेत्रों के हल्का इंचार्ज का समर्थन मिला। वे बुरे और अच्छे समय में हमेशा पार्टी के साथ खड़े रहे। चार बार विधानसभा चुनाव लड़ा है। इनमें से दो बार जीते हैं।
फरीदकोटः राजविंदर के परिवार की बादलों से करीबी, साफ छवि
पूर्व मंत्री व बादल परिवार के करीबी रहे गुरदेव सिंह बादल के दोहते राजविंदर सिंह (50) को टकसाली नेता होने के कारण टिकट दिया