आखिर इंदिरा गांधी को ‘गूंगी गुड़िया’ क्यों कहा गया?
मैं लोकसभा हूं….
* नवनीत गुर्जर
माधानमंत्री बनने के बाद श्रीमती इंदिरा गांधी कई ग्रोचों पर चुनौतियों का सामना कर रही थीं। इंदिरा गांधी के चिकित्सक रहे डॉ. केपी माथुर ने अपनी किताब ‘द अनसीन इंदिरा गांधी’ में लिखा है कि प्रधानमंत्री बनने के एक – डेढ़ साल किये बहुत परेशान रहती थीं। संसद में बहस में भाग नहीं लेती थीं। यहाँ तक कि वे उन कार्यक्रमों में जाने से भी बचती थीं जहां उन्हें भाषण देना हो। उनकी इस असहजता पर विपक्ष हमेशा हमलावर रहता था। इसीलिए प्रखर वक्ता और सोशलिस्ट पार्टी के नेता राम मनोहर लोहिया ने तो उन्हें ‘गूंगी गुड़िया’ कह
सुर उन्हें और भी परेशों के भीतर उठ रहे बगावती गया और इंदिरा गांधी कर रहे थे। समय बीतता सिंडिकेट से लड़ना सीने मोरारजी और कांग्रेस के चुनाव सिर पर आंख लिया। इस बीब 1967 देश का चौथा आम चुना। आजादी के बाद यह चुनाव भी जो पंडित जनाब था और ऐसा पहला इस चुनाव में कांग्रेस के बिना हो रहा था। पिछले चुनाव के मुस को बहुमत तो मिला लेकिन 523 सीटों पर मुकाबले उसने 78 सीटें गंगवासी मिली। पं. दीनदानाव हुए। कांग्रेस को 281 सीटें अखिल भारतीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व वाले 35 सीटें मिली। तब जन को अप्रत्याशित रूप से जुड़े हुए कुछ नए नारे ईजाद किए थे। जैसे “बीड़ी पीना छोड़ दो, जनसंघ को वोट दो और “बीड़ी में तंबाकू है, कांग्रेस वाला डाकू है। इसके अलावा कई विपक्षी दलों ने कई सीटों पर अपना साझा प्रत्याशी उतार दिया था। कांग्रेस को इस्त्का
भी नुकसान हुआ। कांग्रेस को साथ लगदा महीने मद्रास में लगा। दरअसल एमजीआर) पर उनके पहले एमजी रामबंद्रन (एमजी गोली चलवा प्रतिद्वंदी फिल्म स्टार एमआरी पूर मद्रास में तस्वीरें दी थी। घायल एमजीआर की को जिताने लोग बड़ी चिपका दी गई। अपने या डीस्मक को भारी जीत संख्या में तक की आधी में के हुई। सप्ताह काग्रेस के कद्दावर नेता तिनके की कामराज जैसे कांग्रेस के ही गृह क्षेत्र विरुधुनगर तरह उड़ गएको नेता पी श्रीनिवासन ने में 25 साल के एक आहार का उत्साह देखिए कि खबर मद्रास पहुंची, डीएमके कार्यकर्ताओं ने श्रीनिवास नाम के एक दूसरे नौजवान को घोड़े पर बैठाया और शहर भर में जुलुस निकाला। कांग्रेस केरल में भी बुरी तरह हारी। वहां नई बनी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम की जीत हुई। केंद्र में सत्ता कांग्रेस की रही। मोरारजी देसाई ने एक बार
लेकिन एक समझौते के तहत मोरारजी को करना मंत्री और उप प्रधानमंत्री पद पर संतोष कोई पड़ा। सरदार वल्लभ भाई पटेल के बाद उप प्रधानमंत्री बनाया गया था। प्रधानाची अ पर इंदिरा गांधी काबिज रहीं। श्रीमती अधितियों से कधिस सिंडिकेट से लगातार मिल रही चुनौतियों से सख्ती से निपटने का फैसला कर चुकी जलने परमेश्वर नारायण (पीएन) खुसकी नई पहचान एक समाजवादी के रूप में सदर की ने खुलकर बनाने का फैसला किया। शुरू कर की। गरीबों और वंचितों की तरफदारी शुरू कर दी। सिंडिकेट के नेता दंग रह गए।
कल 11वीं कड़ी में पढ़िए….
इंदिरा गांधी ने पार्टी संगठन से
आखिर इंदिरा गांधी को ‘गूंगी गुड़िया’ क्यों कहा गया?
भाग-10
मैं लोकसभा हूं….
* नवनीत गुर्जर
माधानमंत्री बनने के बाद श्रीमती इंदिरा गांधी कई ग्रोचों पर चुनौतियों का सामना कर रही थीं। इंदिरा गांधी के चिकित्सक रहे डॉ. केपी माथुर ने अपनी किताब ‘द अनसीन इंदिरा गांधी’ में लिखा है कि प्रधानमंत्री बनने के एक – डेढ़ साल किये बहुत परेशान रहती थीं। संसद में बहस में भाग नहीं लेती थीं। यहाँ तक कि वे उन कार्यक्रमों में जाने से भी बचती थीं जहां उन्हें भाषण देना हो। उनकी इस असहजता पर विपक्ष हमेशा हमलावर रहता था। इसीलिए प्रखर वक्ता और सोशलिस्ट पार्टी के नेता राम मनोहर लोहिया ने तो उन्हें ‘गूंगी गुड़िया’ कह
सुर उन्हें और भी परेशों के भीतर उठ रहे बगावती गया और इंदिरा गांधी कर रहे थे। समय बीतता सिंडिकेट से लड़ना सीने मोरारजी और कांग्रेस के चुनाव सिर पर आंख लिया। इस बीब 1967 देश का चौथा आम चुना। आजादी के बाद यह चुनाव भी जो पंडित जनाब था और ऐसा पहला इस चुनाव में कांग्रेस के बिना हो रहा था। पिछले चुनाव के मुस को बहुमत तो मिला लेकिन 523 सीटों पर मुकाबले उसने 78 सीटें गंगवासी मिली। पं. दीनदानाव हुए। कांग्रेस को 281 सीटें अखिल भारतीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व वाले 35 सीटें मिली। तब जन को अप्रत्याशित रूप से जुड़े हुए कुछ नए नारे ईजाद किए थे। जैसे “बीड़ी पीना छोड़ दो, जनसंघ को वोट दो और “बीड़ी में तंबाकू है, कांग्रेस वाला डाकू है। इसके अलावा कई विपक्षी दलों ने कई सीटों पर अपना साझा प्रत्याशी उतार दिया था। कांग्रेस को इस्त Vijayakanth Death : DMDK संस्थापक को दी श्रंद्धांजलि , रजनीकांत ने कैंसिल की फिल्म की शूटिंग
भी नुकसान हुआ। कांग्रेस को साथ लगदा महीने मद्रास में लगा। दरअसल एमजीआर) पर उनके पहले एमजी रामबंद्रन (एमजी गोली चलवा प्रतिद्वंदी फिल्म स्टार एमआरी पूर मद्रास में तस्वीरें दी थी। घायल एमजीआर की को जिताने लोग बड़ी चिपका दी गई। अपने या डीस्मक को भारी जीत संख्या में तक की आधी में के हुई। सप्ताह काग्रेस के कद्दावर नेता तिनके की कामराज जैसे कांग्रेस के ही गृह क्षेत्र विरुधुनगर तरह उड़ गएको नेता पी श्रीनिवासन ने में 25 साल के एक आहार का उत्साह देखिए कि खबर मद्रास पहुंची, डीएमके कार्यकर्ताओं ने श्रीनिवास नाम के एक दूसरे नौजवान को घोड़े पर बैठाया और शहर भर में जुलुस निकाला। कांग्रेस केरल में भी बुरी तरह हारी। वहां नई बनी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम की जीत हुई। केंद्र में सत्ता कांग्रेस की रही। मोरारजी देसाई ने एक बार
लेकिन एक समझौते के तहत मोरारजी को करना मंत्री और उप प्रधानमंत्री पद पर संतोष कोई पड़ा। सरदार वल्लभ भाई पटेल के बाद उप प्रधानमंत्री बनाया गया था। प्रधानाची अ पर इंदिरा गांधी काबिज रहीं। श्रीमती अधितियों से कधिस सिंडिकेट से लगातार मिल रही चुनौतियों से सख्ती से निपटने का फैसला कर चुकी जलने परमेश्वर नारायण (पीएन) खुसकी नई पहचान एक समाजवादी के रूप में सदर की ने खुलकर बनाने का फैसला किया। शुरू कर की। गरीबों और वंचितों की तरफदारी शुरू कर दी। सिंडिकेट के नेता दंग रह गए।
कल 11वीं कड़ी में पढ़िए….
इंदिरा गांधी ने पार्टी संगठन से